1 . ऋतु चैत की... 2. बसंत ऋतु मा जैई.... 3 . कै बाटा ऐली.... और 4 . हे जी सार्यूं मा बौड़ीगे.......
ऋतु चैत की...
डांडी कांठी को ह्यूं गौळीगी होलू, मेरा मैत कु बोण मौळीगी होलू
चखुला घोलू छोड़ी उडणा होला, बेटुला मैतुड़ा को पैटणा होला.
घुघूती घुरौंण लगीं मेरा मैत की, बौड़ी बौड़ी ऐगे ऋतु ऋतु चैत की............
(भावार्थ: मायके की याद में दिन गिन रही बेटी बसंत आते ही तड़प उठती है और उसके मुंह से बोल फूट पड़ते हैं कि - पहाड़ों की बर्फ अब पिघल चुकी है, चारागाहों में नयी नयी कोपलें फूट आयी होगी, चिड़ियाएँ भी घोसले से बाहर निकलकर खुली हवा में उड़ रही होगी और बेटियां मायके की तैयारी कर रही होगी. क्योंकि चैत्र मास लौट आया है और घुघूती (फाख्ता )अब अपनी मधुर आवाज में तड़प को और बढ़ा रहा है.)
इसी गीत की दूसरी अंतरा में गढ़वाल हिमालय का सौन्दर्य वर्णन यहाँ की लोकपरम्परा और लोक जीवन के साथ मिश्रित होकर अनुपम छटा बिखेरता है.
डांडयूं खिलणा होला बुरांशी का फूल, पाख्युं हैंसणी होली फ्योंली मुलमुल.
फुलारी फूलपाती लेकी देळयूं देळयूं जाला, दगडया भाग्यन थड्या चौंफल़ा लगाला.
घुघूती घुरौंण लगीं मेरा मैत की, बौड़ी बौड़ी ऐगे ऋतु ऋतु चैत की...........
(भावार्थ: ऊंचे पहाड़ों में जहाँ बुरांश के फूल खिले होंगे वहीं घाटियों में फ्योंली के फूल मंद मंद मुस्करा रही होंगी . बसंत ऋतू के आगमन पर देहरी देहरी पर फूल डालने वाले बच्चे घर घर जायेंगे और भाग्यशाली सहेलियां थड्या और चौंफल़ा नृत्य पर थिरकंगी. क्योंकि चैत्र मास लौट आया है......... )
अगले अंक में - बसंत ऋतु मा जैई....
अच्छी सूक्ष्म व्याख्या की है, नेगी जी के मधुर गीतों की, इन कर्णप्रिय गीतों को कभी भी सुन लो, बोरियत हरगिज नहीं होती ! ऐसे ही एक दिन अंतरजाल पर भटकते हुए लता मंगेशकर जी का गाया यह गढ़वाली गीत सूना , बहुत अच्छा लगा !
ReplyDeletehttp://www.yucineawards.com/main/index.php?option=com_content&view=article&id=1293:latamangeshkar&catid=108:latestnews
//प्रणाम\\ रावत सर जी....!!..श्री नेगी जी के योगदान पर बहुत कुछ लिखने का मन हुआ ..हमेशा मेरा ..लेकिन समय आभाव के कारण हमेशा त्रस्त रहा जो आपने लिखा उसी की एक झलक नजर आ रही है....बहुत बहुत धन्यवाद्...इसे पढ़कर अपनी एक ख्वाहिश पूरी हो गई ...आपके शब्दों में ...!!
ReplyDeleteअपने गढ़वाल के सदाबहार गायक है नेगी जी ....
ReplyDeleteहर तरह के गीत बड़े ही सुन्दर ढंग से डूबकर जब वे गाते हैं तो साथ गुनगुनाने का मन करता है ... बहुत सुंदर प्रस्तुति
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