'धरती पर यदि कही स्वर्ग है तो कश्मीर है', 'कश्मीर भारत का मुकुट है', कितनी उपमाएं, कितने नारे. नब्बे के दशक तक की लगभग हर दूसरी हिंदी फिल्म में कश्मीर का नयनाभिराम दृश्य अवश्य होता. मन को हमेशा ही लुभाते रहे हैं रंग बदलते चिनार के पेड़, डल और वूलर झील का सुना गया सौन्दर्य, हिमाच्छादित चोटियों के नीचे सोनमर्ग और गुलमर्ग के बुग्याल (वैसे 'बुग्याल' ही कश्मीरी भाषा में 'मर्ग' कहलाते हैं) और क्या-क्या नहीं. कश्मीर की बात होती तो मन में एक हूक सी उठती. काश ! मैंने भी कश्मीर देखा होता. जाने की जब भी सोचा घरवाले और शुभचिंतक बाधक बनते. कश्मीर के आतंकवाद ने हमेशा हौसला तोडा है. कश्मीर में ही बर्फानी बाबा श्रीअमरनाथ विराजमान हैं. हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले व्यक्तियों के मन में यह उत्कंठा अवश्य रहती है कि सभी पावन स्थलों के दर्शन जीते जी कर सके. उत्तराखंड हिमालय तो केदारखंड ही है और केदार (अर्थात 'शिव') के सभी सैकड़ों रूपों के (और न सही, कम से कम द्वादश ज्योतिर्लिंग के ही) दर्शन करने की इच्छा तो रहती ही है. परन्तु ऐसे भाग्यशाली विरले ही हैं. फिर अमरनाथ तो वह पावन भूमि है जहाँ भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरकथा सुनायी थी, जहाँ भगवान शिव अपने बर्फानी रूप में विराजमान हैं. अमरनाथ की यात्रा ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा के बाद सबसे ज्यादा रोमांचक और पुण्यप्रद मानी जाती है. सोचा, क्यों न देवादिदेव महादेव 'बाबा अमरनाथ' का जाप करते हुए उनके दर्शन किये जाय और कश्मीर भी देख आये, थोड़ा बहुत ही सही.
अमर पैलेस, जम्मू . |
जहाँ चाह वहां राह ! साथी भी मिल गया- श्री यशपाल रावत. अपने पेशे के कारण वे लगभग पूरा हिमाचल प्रदेश देख चुके हैं. मणिमहेश व श्रीखंड महादेव जैसे दुर्गम तीर्थ स्थलों की यात्रायें कर चुके हैं..... जे0 एंड के0 बैंक की स्थानीय शाखा में पंजीकरण के बाद प्रस्थान का दिन तय हुआ जुलाई 24, 2010. ऋषिकेश से हेमकुंठ एक्सप्रेस से जम्मू तक का सफ़र किया. (पत्नी साथ होती तो अच्छा लगता. परन्तु उसने श्रीअमरनाथ की थकाने वाली यात्रा कर सकने में असमर्थतता जताई. वैसे वह मेरे साथ यमुनोत्री, केदारनाथ, वैष्णोदेवी आदि अनेक स्थलों की यात्रा पैदल ही कर चुकी है. क्योंकि हमारा मानना है कि यात्रा का आनंद पैदल में ही है, घोड़े, पालकी में नहीं.) जम्मू मेरे लिए अपरिचित शहर नहीं था. दो बार पहले भी आ चुका था- एक बार व्यक्तिगत काम से और दूसरी बार माँ वैष्णोदेवी के दर्शनार्थ. कश्मीर का प्रवेश द्वार और राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू एक अत्यंत खूबसूरत शहर है जो कि तवी नदी के दोनों तटों पर बसा हुआ है. अमर महल पैलेस, रघुनाथ मंदिर, बहु फोर्ट, पीरबाबा की मजार आदि अनेक दर्शनीय स्थल इसकी ऐतिहासिकता और खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं.
बहु फोर्ट,जम्मू |
अगले अंक में जारी ..............
जम्मू तो बहुत अच्छी जगह है एक बार हमें भी मौका मिला था यहाँ रुकने का| धन्यवाद|
ReplyDeleteजम्मू तो बहुत अच्छी जगह है एक बार हमें भी मौका मिलता यहाँ रुकने और रघुनाथ मंदिर आदि देखने का| धन्यवाद|
ReplyDeleteयह आलेख बहुत अच्छा लगा । जाने क्यूँ एक दुःख सा होता है की इतनी दूर हूँ , अपनी धरती पर उपलब्ध वैभव का सुख नहीं ले पा रही हूँ। आपकी पोस्ट के माध्यम से काश्मीर और जम्मू चर्चा से अत्यंत सुख मिला । प्राइवेट गाड़ी से सफ़र की बात सुन थोडा मन घबरा रहा है । अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर आलेख, अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी ।
ReplyDeleteधन्यवाद|
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अमरनाथ यात्रा की याद ताज़ा हो गयी ...शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteसुबीर जी, प्राईवेट गाड़ी वाले ने क्या किराया लिया?
ReplyDeleteयात्रा संस्मरण प्रारभ करने लिए शु्भकामनाएं।