उन्नत किस्म के बीज शब्दों के.
उम्मीद है लहलहाएगी जरूर फसल
सुन्दर शब्दों की, सुन्दर छंदों की.
निरर्थक शब्दों के कंकर पत्थर बीनते बीनते
जोत रहा हूँ अज्ञान से भरी ऊसर भूमि को
पिछले कई-कई वर्षों से !
धूप, बारिश की परवाह किये बिना ही
हटा रहा हूँ अनर्गल विचारों की खर-पतवार
पिछले कई-कई वर्षों से !
आसमा के भरोसे ही न बैठकर
कर रहा हूँ सिंचाई भावों, संवेगों, संवेदनाओं की
पिछले कई-कई वर्षों से !
छिड़क रहा हूँ खाली जगहों पर
समास, अलंकार, रस युक्त शैली की खाद
पिछले कई-कई वर्षों से !
रंग लाएगी मेहनत मेरी जरूर,
चमकेगी अब किस्मत मेरी जरूर
बन नहीं पाऊँगा भले ही -
टैगोर, रोमा रोल्याँ या ज्यां पाल सात्र सा
नहीं कमा पाऊंगा धन भले ही -
बिक्रम सेठ, चेतन भगत या जे० के० रोलिंग सा
नहीं रहूँगा चर्चा में भले ही -
सलमान रश्दी, शोभा डे या तसलीमा नसरीन सा.
परन्तु, उम्मीद है कि एक न एक दिन
किसी छोटी सी गोष्टी में ही सही
रखा जायेगा ताज जरूर मेरे सर पर
और, मेरे खेतों में उगने वाले हीरे मोती से शब्द
चमका करेंगे सितारों की भांति मेरे ताज पर !
बहुत शशक्त रचना है आपकी...भावाभिव्यक्ति भी गज़ब की है...शब्दों का चयन अप्रतिम है...मेरी बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteआपने ब्लॉग के टेम्प्लेट में जो चित्र लगाया है वो जयपुर के आमेर का है ना?
नीरज
Bilkul sahi kaha bhai aapne. pichhle saal doosri baar aamer gaya to yah photo kheench lee. Thanx for comment.
Deleteरावत जी कविता शशक्त है फिर भी आप चिंता न करिएँ ताज की, मैंने तो अभी से आप के सर पर रखा है
ReplyDeleteYah aapka sneh hai bhai. Thanx.
Deleteसशक्त और सुन्दर अभिव्यक्ति...नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...शब्दों की फसल खूब लहलहाए, इन्ही शुभकामनाओं के साथ.....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...शब्दों की फसल खूब लहलहाए, इन्ही शुभकामनाओं के साथ.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , सार्थक सृजन.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग meri kavitayen पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .
बहुत खूब ... शब्दों की फसल कुछ क्रान्ति ले आये तो लिखना भी सफल हो जाता है ...
ReplyDeleteआशा से भरे ...बहुत सुंदर ह्रदय के उद्गार ...
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें ...!
फसल काटने का वक्त आ गया है रावत जी .................!
ReplyDeleteफसल काटने का वक्त आ गया है रावत जी .................!
ReplyDeleteआपका लिखा तो बिल्कुल गौण नहीं है ...जो बीज आपने लगाए हैं , वो लहलहा रहे हैं ... एक दिन सपने हकीकत होंगे ही
ReplyDeleteपरन्तु, उम्मीद है कि एक न एक दिन
ReplyDeleteकिसी छोटी सी गोष्टी में ही सही
रखा जायेगा ताज जरूर मेरे सर पर
और, मेरे खेतों में उगने वाले हीरे मोती से शब्द
चमका करेंगे सितारों की भांति मेरे ताज पर !
..umeed hi to hai subeer ji jo insaan ko bahut kuch karne ke liye prerit karti hai..
bahut badiya prerak rachna
परन्तु, उम्मीद है कि एक न एक दिन
ReplyDeleteकिसी छोटी सी गोष्टी में ही सही
रखा जायेगा ताज जरूर मेरे सर पर
और, मेरे खेतों में उगने वाले हीरे मोती से शब्द
चमका करेंगे सितारों की भांति मेरे ताज पर ! meri taraf se to abhi hi ek 'taaz' apke sar par......sambhaal lijiyega.....
बहुत बढिया रचना है...हरेक रचनाकार का यही सपना होता है।
ReplyDeleteI every time used to read post in news papers but now
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