Thursday, September 06, 2012

कविता के नाम पर !


पर्यावरण !
हरियाली कागजों में
ताजगी भाषणों में
और जमीं पर सिर्फ
दूषित वातावरण !! 

एन जी ओ !
देश समाज के नाम पर
चतुर विद्वान लोगों द्वारा
सरकारी धन हड़पने का
राजनीतिक सीनारियो !!

नौकरी !
दो रोटी का जुगाड़ गरीबों को
रौब-दाब समाज में सबलों को
चोरों को कमाने का साधन औ' शरीफों को
बस चाकरी !! 

प्यार !
पुल - दो विरोधी हालात के बीच
सफल तो जिंदगी गुलज़ार
हुए असफल तो जीवन भर
जीना दुश्वार !!

रिश्ते !
ता-उम्र निभाने के फेर में
भावनाएं दोहन के खेल में
फायदा उठाते शातिर और
सीधे पिसते !!

12 comments:

  1. satya kahati rachna ...
    shubhkamnayen ..

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  2. कम शब्दों में बहुत कुछ परिभाषित कर दिया आपने..सुन्दर रेखाचित्र वर्णन ..साधुवाद

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  3. सुन्दर शव्दों से सजी पंक्तियाँ

    रिश्ते !
    ता-उम्र निभाने के फेर में
    भावनाएं दोहन के खेल में
    फायदा उठाते शातिर और
    सीधे पिसते !!

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  4. रिश्ते !
    ता-उम्र निभाने के फेर में
    भावनाएं दोहन के खेल में
    फायदा उठाते शातिर और
    सीधे पिसते !!

    बहुत ही भाव-प्रवण कविता । मेरे नए पोस्ट 'समय सरग पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  5. सुन्दर प्रस्तुति।

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  6. SAMAJIK SAMSHYAON SE SAROKAR KARATI AAPKI RACHNAYE HAMESH HI PRASHNSHNEEY HOTI HAI..BAHUT SUNDAR SIR...

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  7. प्रभावित करती अभिव्यक्ति .......

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  8. यथार्त ............स:परिवार नवरात्रों की ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएं .......

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  9. यथार्थ की सुन्दर सार्थक बानगी ..आभार

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  10. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

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  11. This comment has been removed by a blog administrator.

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