कर जाती है ये तांडव कभी मौत का अचानक.
उमड़ती-घुमड़ती नहीं धरती, रहती है शान्त, नीरव
पर कभी, फूट पड़ता है लावा अचानक,
एकाएक आ जाता है भूकंप-
कांपती तब धरती, पहाड़, दरिया, समंदर सभी
उमड़ती-घुमड़ती नहीं धरती, रहती है शान्त, नीरव
पर कभी, फूट पड़ता है लावा अचानक,
एकाएक आ जाता है भूकंप-
कांपती तब धरती, पहाड़, दरिया, समंदर सभी
उजड़ते हैं बसेरे और क्षण भर में खाक होती जिंदगियां.
परन्तु, इस सबके बावजूद भी-
धरती माँ है और पिता आसमां, कायम है यह दर्जा
कई-कई सदियों से, कई-कई पीढ़ियों से. लेकिन
रिश्तों की इन बारीकियों को नहीं समझ पाया कभी मै.
मैंने तो अपने बच्चे को छोटी सजा देने के भाव से,
मारा था उसकी पीठ पर एक हल्का सा हाथ
और दोस्तों की बदौलत- दर्ज हो गया मुझ पर
घरेलू हिंसा का केस, क्रूर पिता की संज्ञा मिली अलग,
पहले जमानत, फिर कोर्ट, कचहरी, तारीख और वकील
झेल रहा हूँ मै आज तक पिछले आठ माह से.
सोचता हूँ बैठकर कभी, मैं तो निर्दोष हूँ फिर भी ये सजा...
धरती व आसमां के खिलाफ क्यों नहीं उठती आवाजें कभी.
या फिर यही सच है ? 'समरथ को नहीं दोष गुसाईं '
परन्तु, इस सबके बावजूद भी-
धरती माँ है और पिता आसमां, कायम है यह दर्जा
कई-कई सदियों से, कई-कई पीढ़ियों से. लेकिन
रिश्तों की इन बारीकियों को नहीं समझ पाया कभी मै.
मैंने तो अपने बच्चे को छोटी सजा देने के भाव से,
मारा था उसकी पीठ पर एक हल्का सा हाथ
और दोस्तों की बदौलत- दर्ज हो गया मुझ पर
घरेलू हिंसा का केस, क्रूर पिता की संज्ञा मिली अलग,
पहले जमानत, फिर कोर्ट, कचहरी, तारीख और वकील
झेल रहा हूँ मै आज तक पिछले आठ माह से.
सोचता हूँ बैठकर कभी, मैं तो निर्दोष हूँ फिर भी ये सजा...
धरती व आसमां के खिलाफ क्यों नहीं उठती आवाजें कभी.
या फिर यही सच है ? 'समरथ को नहीं दोष गुसाईं '
’समरथ को नहीं दोष गुसाईं' ध्रूव सत्य तो यही है भतीजे.
ReplyDeleteरामराम
बहुत उत्तम!!
ReplyDeleteअब हमें आपका पता मालूम हो गया...ताऊ महाराज की कृपा चल निकली.. :)
"'समरथ को नहीं दोष गुसाईं '"
ReplyDeleteयही सच है ...........
आपकी कविता में शब्दों का समावेश अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया भी अच्छी लगी । धन्यवाद।
ReplyDeleteहम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
ReplyDeleteवोह क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता ..............अर्थात ! समरथ को नहीं दोष गुसाईं.....
उपरोक्त अभिव्यक्ति हेतु. आभार !
वाह: बहुत रचना..समरथ को नहीं दोष गुसाईं.....
ReplyDelete'समरथ को नहीं दोष गुसाईं ' यही सत्या है ... सत्या कभी झूटा नहीं होता ....लाजबाब रावत जी
ReplyDeleteAwesome! Its really awesome paragraph, I have got much clear idea
ReplyDeleteregarding from this paragraph.
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