Sunday, January 09, 2011

पुत्रदायिनी है माँ अनुसूया देवी - 1

यात्रा संस्मरण - 1999
Maa Anusooya Temple  Photo-Subir
                    जैसा कि डॉक्टर टी. जी. लोंगस्टाफ ने लिखा है कि "..... मैं हिमालय पर्वत पर छः बार गया और विश्वासपूर्वक कह सकता हूँ कि एशिया में गढ़वाल ही सबसे खूबसूरत क्षेत्र है ...."  और सचमुच ही प्राकृतिक सुषमा से परिवर्धित हिमालय का नैसर्गिक सौंदर्य देखा जा सकता है उत्तराखण्ड  के गढ़वाल हिमालय में. देवभूमि, वीरभूमि नाम से विख्यात गढ़वाल में सैकड़ों पवित्र धाम है तो हजारों दर्शनीय स्थल भी. लेकिन सैलानियों का स्वर्ग है तो गढ़वाल का चमोली जनपद. पञ्च बद्री (तिरुपति की भांति बद्री को भगवान विष्णु का रूप मानते है , पञ्च बद्री  हैं - बद्रीनाथ, वृद्ध बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और ध्यान बद्री ), पञ्च केदार (केदार शिव का रूप है, वस्तुतः उत्तराखण्ड हिमालय पुराणों में केदारखंड ही है, पञ्च केदार हैं  - केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पनाथ ), लोकपाल लक्ष्मण मंदिर, हेमकुन्ठ  साहिब आदि तपस्वियों /मनीषियों की साधनास्थली  रही है तो फूलों की घाटी, भारतवर्ष का सर्वोच्च शिखर नंदा पर्वत, कामेट शिखर, कर्जन ट्रैक, सतोपंथ, काकभुसुंडी  ताल आदि पर्वतारोहण व ट्रेकिंग के लिए आमंत्रित करते हैं. शीतकालीन क्रीड़ास्थल औली और अनगिनत बुग्याल (medows) क्या नहीं है चमोली जनपद में. मुखौटा नृत्य और रममाण यहाँ की संस्कृति के परिचायक है तो पांडवकालीन चक्रव्यूह रचना पुराणों में अगाध आस्था का प्रमाण. ईश्वर तो इस देवभूमि के कण-कण में व्याप्त है. इसके अतिरक्त ऐसे देवस्थल भी है जो ज्यादा ख्याति प्राप्त तो नहीं किन्तु जिनके दर्शन मन को आल्हादित करते हैं. माँ अनुसूया देवी मंदिर भी एक ऐसा ही स्थल है.
                   ऋषिकेश- बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 210 किलोमीटर दूर अलखनंदा नदी के बाएं तट पर चमोली क़स्बा है जो सीमान्त जनपद चमोली के गठन के उपरांत जनपद मुख्यालय था, किन्तु 1971  में बिरही की बाढ़ के कारण तहस नहस हो गया था और अब मात्र तहसील मुख्यालय है. 1971  के बाद चमोली से लगभग 10  किलोमीटर दूरी पर अलखनंदा नदी के दायें तट व  समुद्र तल  से लग्भग 1550  मीटर ऊँचाई पर पार्श्व भाग में बांज आदि पेड़ों से आच्छादित पहाड़ी के नीचे बसे गोपेश्वर गाँव को चमोली जनपद का मुख्यालय बना लिया गया. केदारनाथ व बद्रीनाथ के बीचों बीच स्थित होने के कारण गोपेश्वर की अलग महत्ता है. गोपीनाथ मंदिर एवं अन्य स्मारकों के साथ यह नगर जहाँ दर्शनीय है वहीं रुद्रनाथ, तुंगनाथ, देवरियाताल और उखीमठ आदि स्थलों का यह केंद्र भी है. जब यातायात के साधन नहीं थे तो केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शनार्थ जाने वाले यात्रियों का पड़ाव गोपेश्वर में अवश्य होता था. उत्तर से दक्षिण की ओर ढलान लिए पहाड़ी के मध्य भाग पर बसा है गोपेश्वर. उत्तर में रुद्रनाथ पर्वत है तो दक्षिण में पतित पाविनी अलखनंदा .यहाँ पर नौवीं सदी (गुप्तकाल )में निर्मित  विशाल व भव्य गोपीनाथ मंदिर प्रमुख है. कत्युरी शैली में निर्मित इस मंदिर की ऊँचाई 90  फिट है. मंदिर के बायीं ओर प्रांगण  में छटी शताब्दी में निर्मित एक 16 फिट ऊंचा विशाल लौह त्रिशूल है. त्रिशूल के निचले भाग पर ब्राह्मी लिपि  में अष्ठ धातु  से तथा ऊपरी हिस्से पर संस्कृत में एक लेख अंकित है. राहुल संकृत्यायन ने इसका अनुवाद कर इसे अशोक चल्ल का विजय लेख माना है. त्रिशूल के मध्य भाग पर परशुराम का फरसा भी है. गोपीनाथ मंदिर के निकट ही वैतरणी कुण्ड व मंदिर समूह है. प्रायः गोपीनाथ भगवान श्रीकृष्ण को कहते हैं किन्तु यहाँ गोपीनाथ भगवान शिव है. मान्यता है कि भगवान शिव ने कामदेव को गोपेश्वर में ही भस्म किया था. गोपेश्वर का प्राचीन नाम गोस्थल या गोथल माना जाता है. गोपेश्वर रुद्रनाथ का गद्धिस्थल है.
               गोपेश्वर से पूर्व दिशा में छ किलोमीटर दूरी पर घिंगराण गाँव है जो कि बद्रीनाथ के समीपस्थ सीमान्त गाँव म़ाणा का शीतकालीन प्रवास है. यह गाँव सड़क से जुड़ा हुआ है और यहाँ से आगे बद्रीनाथ तक सड़क की मांग स्थानीय निवासी करते आ रहे हैं. किन्तु गोपेश्वर से मेरे मित्र नारायण सिंह नेगी, सुनील कुंवर और मै पश्चिम की ओर बढ़ते हैं, हमारा गंतव्य स्थल है माँ अनुसूया देवी मंदिर. 
              तीन किलोमीटर दूरी पर पहला गाँव पड़ता है गंगोल गाँव. नगर बस जाने के कारण गोपेश्वर की लगभग वनस्पति विहीन पहाड़ियों की अपेक्षा गंगोल गाँव के आस पास हरियाली है. गंगोल गाँव से लगभग चार किलोमीटर दूरी पर बसे देवलधार तक सड़क अर्ध वृत्ताकार है. आगे डेढ़ दो किलोमीटर दूर बढ़ते हैं तो सगर गाँव पड़ता है. माना जाता है कि सगर गाँव का नाम चक्रवर्ती सम्राट सगर के नाम पर पड़ा. सगर के वंशज ही राजा भागीरथ हुए जिन्होंने कठिन तपस्या कर अपने पित्रों के तर्पण के लिए गंगा को स्वर्ग से उतरवाया था. कालांतर में यह सगर चट्टी के नाम से भी जाना जाता रहा है. सगर में ग्रामीण महिलाओं द्वारा सहकारिता व सहभागिता के आधार पर माल्टा व बुरांश का जूस निकालने का एक छोटा सा कारखाना चलाया जा रहा है. जिसका विपणन भी वे स्वयं ही किया करती है. आगे देवलधार में पीने पिलाने का बड़ा अच्छा सिस्टम है, एक तो एकान्त, नीचे बह रही बालखिला नदी की मछलियों के पकोड़े और सामने प्रकृति का अद्भुत नजारा. मित्र सुनील की थोड़ी देर रुकने की इच्छा होती है पर हम दोनों उसे खींच ले जाते हैं. देवलधार से कुछ दूर गहरे में शेरखुमा गाँव है जहाँ पर भोटिया जनजाति के लोग निवास करते हैं. देवलधार से पांच-छ किलोमीटर दूरी पर बैरान्गना पड़ता है, बैरान्गना में फ़्रांस सरकार के सहयोग से चल रहा ट्राउट मछलियों का प्रजनन केंद्र है और एक राजकीय इंटर कॉलेज भी. बैरान्गना से कुछ ही दूरी पर है मंडल. बालखिला नदी के बाएं तट पर स्थित मंडल घाटी में है किन्तु चारों ओर सघन वन क्षेत्र होने के कारण बारिस अत्यधिक होती है और इसे गढ़वाल का चेरापूंजी भी कहा जाता है. गोपेश्वर से मंडल तक माल्टा प्रचुर मात्रा में है अतः इस क्षेत्र को माल्टा पट्टी के रूप में मान्यता दी जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. मंडल में संस्कृत महाविद्यालय, दूर संचार केंद्र, राज्य सहकारी संघ का भेषज अनुसन्धान संसथान, अलकनंदा ग्रामीण बैंक आदि प्रतिष्ठान है. 
                                                                                                                           (शेष अगले अंक में .........)       

9 comments:

  1. नयी जानकारी मिली, तस्वीर से लेख में जान पड़ गयी है
    शुक्रिया आपका !

    ReplyDelete
  2. --- धन्यवाद सतीश जी, ........आशा है मार्गदर्शन करते रहेंगे.

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद राजीव जी, ब्लॉग पर आने के लिए आभार. .............. आशा है मार्गदर्शन करते रहेंगे.......... पुनः आभार.

    ReplyDelete
  4. bahut sunder jankari
    aabhar
    ...
    kabhi yaha bhi aaye
    www.deepti09sharma.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........

    ReplyDelete
  6. बहुत ही उपयोगी जानकारी ....आस्था ओत श्रद्धा का संगम ..बहुत बढ़िया प्रस्तुति

    ReplyDelete
  7. ओत* को और पढ़ें ...शुक्रिया

    ReplyDelete
  8. बहुत अच्छी जानकारी के साथ सुन्दर संस्मरण के लिए धन्यवाद........

    ReplyDelete
  9. Nice post. I learn something totally new and challenging on websites
    I stumbleupon everyday. It will always be helpful to read through articles from other authors and practice a
    little something from other sites.

    Also visit my homepage ... mp3 downloads

    ReplyDelete