उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित प्राकृतिक झीलों की यात्राओं का अलग रोमांच है। आबादी से दूर प्रकृति की गोद में इन झीलों का अद्भुत सौन्दर्य है। मुझे भी अलग-अलग समय में तीन झीलों का नयनाभिराम दृश्य देखने का सौभाग्य मिला। अहा! अभिभूत करने वाला होता है ऐसे स्थलों में रहना।
हेमकुण्ठ साहिब झील- उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित सिखों के पवित्र धाम के रूप में विख्यात हेमकुण्ठ साहिब के बारे में कौन नहीं जानता है। माना जाता है कि सिखों के दसवें गुरू गुरू गोविन्द सिंह जी ने यहाँ पर तपस्या की थी। समुद्र तल से 4633 मीटर ऊंचाई पर इस झील के दर्शनार्थ व झील में स्नान करने की अभिलाषा लिये हजारों श्रद्धालु गोविन्द घाट से 17 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय कर यहाँ पहुँचते हैं।
पेंगोगं झील- लद्दाख क्षेत्र में लेह से लगभग 150 किलोमीटर दूर उच्च हिमालयी क्षेत्र में लद्दाख रेंज पहाड़ी के उत्तर में स्थित खारे पानी की यह झील भी हजारों पर्यटकों को प्रतिवर्ष अपनी ओर आकर्षित करती है। 136 किलोमीटर लम्बी और औसतन पांच किलोमीटर चौड़ी इस झील का आधे से अधिक भाग तिब्बत में है, जिस पर आज चीन का कब्जा है। यह झील समुद्र तल से 4225 मीटर ऊंचाई पर है।
मणिमहेश झील- हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के भरमौर तहसील में स्थित उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्र तल से 4190 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस झील का सौन्दर्य अभिभूत करने वाला है। यहाँ पहुँचने के लिए हडसर से 13 किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई पैदल ही तय करनी होती है। प्रतिवर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी से लाखों श्रद्धालु मणिमहेश की यात्रा करते हैं जो कि लगभग एक माह तक चलती है।
कभी आपको भी समय लगा तो एक बार जरूर देख लीजिये।
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