नैनं छिदन्ति शस्त्राणी नैनं दहति पावकः l
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः l l
(श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सांख्ययोग के माध्यम से समझाते हुए कहा कि - हे अर्जुन, यह आत्मा अमर है. इसे न ही शस्त्र काट सकते हैं, न अग्नि जला सकती है, न जल गला ही सकता है और न ही हवा उड़ा सकती है.)
शास्त्रों में ज्ञान का इतना भंडार होते हुए भी हम है कि स्वभावतः शोक करते हैं. गत बुद्धवार 03 अगस्त को शाम 7:50 पर माँ का देहांत हो गया. माँ लम्बे समय से स्किन (बायीं जांघ के) कैंसर से ग्रस्त थी. और इधर दो माह से बिस्तर पर ही पड़ी थी. पहले घुटने के नीचे था, चिकित्सकों की सलाह पर प्लास्टिक सर्जरी द्वारा वह ऑपरेट कर दिया गया तो कुछ महीनों बाद जांघ पर निकल गया. अज्ञानतावश माँ ने इसे छुपाये रखा. जब काफी बढ़ गया तो किसी ने कीमोथेरेपी की सलाह दी तो चिकित्सकों ने आयु अधिक होने पर कीमोथेरेपी न करने की बात कह कर केवल सेवा करने को कहा. माँ की इच्छा पर जून माह में हरिद्वार पतंजलि योगपीठ बाबा रामदेव के आश्रम भी ले गया. वहां पर एक माह की स्वर्ण भस्म, डायमंड पावडर, गिलोय आदि आयुर्वेदिक दवाइया दी गयी जिससे कोई लाभ नहीं हो पाया. 02 अगस्त दोपहर तक माँ ने पूरा खाना खाया, अपरान्ह तीन बजे के आस पास तबियत अचानक बिगड़ गयी जो उत्तरोत्तर बढती रही और बुद्धवार शाम को परलोक सिधार गयी. शायद इश्वर की यही इच्छा थी. माँ अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गयी. दो बेटे, दो बेटियां व सभी के बारह बच्चे.
यह भी संयोग ही कहा जायेगा कि माँ और पिताजी की आयु का अंतर आठ वर्ष का था और उनकी मृत्यु का अन्तराल भी आठ वर्ष ही रहा.
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यह भी संयोग ही कहा जायेगा कि माँ और पिताजी की आयु का अंतर आठ वर्ष का था और उनकी मृत्यु का अन्तराल भी आठ वर्ष ही रहा.
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एक निवेदन उन विद्वान ब्लोगर्स से जो यहाँ तक पहुंचे हैं, यह कि -- परम्परानुसार तेरह दिनों तक शोक में रहने के कारण मै आजकल उनकी रचनाओं को पढ़ नहीं पा रहा हूँ और न ही कोई टिपण्णी कर पा रहा हूँ. कृपया वे क्षमा कर दें.
बहुत दुख हुआ इस शोकमय सूचना से, परमात्मा माँ जी की आत्मा को शांति प्रदान करे,
ReplyDelete-विवेक जैन (vivj2000.blogspot.com)
पढ़ कर बहुत दुख हुआ..ईश्वर माँ जी की आत्मा को शांति प्रदान करे, और परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति दें ....
ReplyDeleteआज कई दिनों बाद आपके ब्लॉग बबारामासा में आना हुआ , माता जी का देहांत की खबर सुनकर दुःख हुआ , लेकिन किया क्या जा सकता है? मृत्यु एक साश्वत सत्य है , इसे न चाहते हुए भी स्वीकार करना ही पड़ता है , बहरहाल दुःख की इस घडी में स्वयं को अकेला न समझे,दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ ,
ReplyDeleteरावत जी माँ के देहांत का समाचार पढ़ कर अत्यंत दुःख हुआ . आप ज्ञानी जन हैं, ईश्वर माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे एवं आप को, सपरिवार इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे.
ReplyDeletebahut khoobsoorat prastuti
ReplyDeleteरावत जी, आपकी माता जी अब स्वर्गवासी हैं, आपके ब्लॉग के माध्यम से जानकर मुझे बहुत दुःख हुआ. माता-पिता जी के चले जाने के बाद, अहसास होता है, कितना प्यार करते थे वे हमें. परम पिता परमेश्वर आपकी माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे.
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