मेरी चाहतों की 'डेस्कटॉप' पर कभी भी 'क्लिक' कर के देखो
तुम ही हो वर्षों से - एक पॉपुलर 'वाल पोस्ट' की तरह
दिल के 'वर्क स्टेशन' पर- दायें-बाएं के 'डाटा' भले ही 'अपलोड' न हो, पर न समझना कि मेरी भावनाओं की 'हार्ड डिस्क' की कैपसिटी कम है
'वर्चुअल' की बात छोड़ो, यहाँ तो 'प्राइमरी मेमोरी' ही 'थाउजेंड जीबी' से ज्यादा है
कभी मुग्ध हो प्यार के क्षणों में तुमने कहा था
मेरी लगन 'चार्ल्स बाबेज' की तरह है, बल्कि उससे भी आगे
'फर्स्ट जेनेरेसन' से सीधे 'फिफ्थ जेनेरेसन' में जो पहुंचा हूँ
सफ़र तय किया है 'एनालोग' से 'डिजिटल' तक का
कभी अकेले में, अपनेपन में-
मेरे गालों को सहलाते, मेरे बालो को तर्जनी पर लपेट छल्ला बनाते
'स्कैन' कर डाली थी तुमने मेरी सूरत अपनी आँखों से
एक 'फोल्डर' बनाकर - डाला तुमने जिसे ख्वाबों के 'डेस्कटॉप' पर
अलग-अलग मूड को भांपते, अलग-अलग 'सॉफ्टवेर' की मदद से
रोज मेरी शक्ल को नया रूप देती, नयी इबारतें लिखती
पर गनीमत रही कि यह खेल 'सॉफ्ट कॉपी' तक ही सीमित रहा
परन्तु हकीकत यह है भावना मेरी,
तुम 'कैलकुलेट' करती रही मेरे प्यार, मोहब्बत को हमेशा
जीरो वन जीरो वन 'बाईनेरी डिजिट' की तरह
और आज कई-कई यादों का साक्षी वह 'फोल्डर'
ख्वाबों के 'डेस्कटॉप' से 'रिसायकल बिन' में भेज चुकी तुम
बल्कि परमानैंटली 'डिलीट' करने की फ़िराक में होजो प्यार कभी 'बिट' से 'बाइट' होते होते 'गीगाबाइट' तक परवान चढ़ा था
आज अनुपयोगी क्यों हो गया 'अनवांटेड आईकान' की तरह
जवाब दो, भावना मेरी जवाब दो !!
अलग-अलग मूड को भांपते, अलग-अलग 'सॉफ्टवेर' की मदद से
ReplyDeleteरोज मेरी शक्ल को नया रूप देती, नयी इबारतें लिखती
पर गनीमत रही कि यह खेल 'सॉफ्ट कॉपी' तक ही सीमित रहा......बहुत बढिया..सुन्दर रचना...
अरे सुबीर जी गज़ब लिखा है ! जल्दी से बधाई स्वीकारें!
ReplyDeleteकभी-कभी वायरस इन्फेक्टेड फोल्डर की रिकवरी नामुमकिन हो जाती है, संक्रमण को फैलने से रोकने हेतु न चाहते हुए भी इन्फेक्टेड फोल्डर को स्थाई रूप से डिलीट करना आवश्यक हो जाता है, हा ...........हा.............हा.....................
ReplyDeleteमजेदार प्रस्तुति हेतु आभार............
और आज कई-कई यादों का साक्षी वह 'फोल्डर'
ReplyDeleteख्वाबों के 'डेस्कटॉप' से 'रिसायकल बिन' में भेज चुकी तुम
बल्कि परमानैंटली 'डिलीट' करने की फ़िराक में हो
जो प्यार कभी 'बिट' से 'बाइट' होते होते 'गीगाबाइट' तक परवान चढ़ा था
आज अनुपयोगी क्यों हो गया 'अनवांटेड आईकान' की तरह
जवाब दो, भावना मेरी जवाब दो !!
....... antarman mein umadte-ghumadte bhawanao ka badiya tulnatmak prastutikaran kiya hai aapne....
NAVDURGA aur Dusshera kee subhkamnayen...
उधेड़ बुन की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteदशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ध्यान इतना रहे कि रेस्सैकिल बिन को भी साफ़ न कर दिया जाय. इसे रिस्टोर करने के लिए ज्यों का त्यों छोड़ दिया जाय . बहुत सुंदर बधाई स्वीकार करे .
ReplyDeleteRawat ji sadar pranam,
ReplyDeleteMujhe parvatjanon or pahad se bahut pyar hai.....
garhwali kavitaon ka srijan karta hoon es aas men...hamari sanskriti or bhasha jivit rahegi......
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .........
ReplyDeleteक्या बात है, इसे कहते हैं आधुनिक कविता. सुंदर.
ReplyDeleteLatest technology ke madhym se pyar ki paribhasa aapne kya khoob dee hai.
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त कविता लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है ! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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चाहतों का डेस्कटॉप क्या बात है? आधुनिक समीकरणों पर सुंदर कविता.
ReplyDeleteबहुत बधाई सुंदर रचना के लिये.
बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने, बहुत बहुत शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपके कवियों के परिचय देने के सुझाव पर अमल करने की पूरी कोशिश करुंगा। बस आपका आशीर्वाद बना रहे,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
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ReplyDeleteYou have touched some fastidious things here.
Any way keep up wrinting.
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Do you know, here is an amazing article post on Pyar Kaise hota hai. Mujhe ummed h aapko ye bhut pasand aayega...
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