Thursday, March 31, 2011

लोक संस्कृति व लोकपरम्परा के सजग प्रहरी हैं बी० मोहन नेगी

नेगी जी का विस्तृत परिचय आपने 28 मार्च व 30 मार्च 2011 की पोस्ट में पढ़ा;
प्रस्तुत है नेगी जी के शिल्प से परिचय का अगला पड़ाव -
2- बिन्दुओं (dots) द्वारा रेखाचित्र- यह विधा मूल रूप से यद्यपि रेखांकन ही है किन्तु इसमें बीच के स्थान को बिन्दुओं द्वारा भर कर नेगी जी ने अभिनव प्रयोग किया है. जिससे इस श्रेणी के रेखांकन सम्मोहित करते से प्रतीत होंते हैं. इन चित्रों के माध्यम से उन्होंने लोकपरम्पराओं व लोकसंस्कृति के विभिन्न रंग उकेरे हैं.          

6 comments:

  1. हिलांश के अंकों में बी मोहन नेगी जी की कृतियाँ देखी थी किन्तु आज मनन और चिंतन के साथ देखी और समझी है इसके लिए बहुत आभार .

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  2. बी: मोहन नेगी जी की कृतियाँ देख कर प्रशन्नता हुई| धन्यवाद|

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  3. पहाड़ की संस्कृति तो आप के मुख पृष्ठ देख के जीवंत हो उठती है....इस भागीरथ प्रयास के लिए सतत नमन रावत जी....!!!..हम आपके लिए विचार नहीं आभार व्यक्त कर सकते है....बहुत कुछ सीखा है..सब कुछ नया और आश्चर्यजनक मिल रहा है....अपना आशीर्वाद बनाये रखना गुरु जी...आपको प्रणाम...!!

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